आदिकाल से ही मानव ने अपने चारों ओर विधमान परिस्थितियों और वातावरण को समझने का प्रयास किया है। जीवन को सहज बनाने के लिए मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु नई खोज तथा आविष्कार किए है। इन्ही अनुकूल आवश्यकताओं की पूर्ति के वह निरन्तर जाने-अनजाने शोध या अनुसन्धान कार्यों में संलग्न रहा है। कालान्तर में इसकी एक निश्चित प्रविधि विकसित हो गई, जिसे शोध की संज्ञा दी जाने लगी।
शोध हमारी संस्कृति का आधार है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को शोध करने की विधियों का ज्ञान आवश्यक है। इसमें न केवल शोध की विधियों से परिचय कराया गया है बल्कि सर्व साधारण लोगों की इसमें रूचि उत्पन्न करने का प्रयास किया गया है। यह पुस्तक शिक्षा में अनुसंधान की प्रक्रिया से पाठकों का परिचय कराती है।
प्रो. आर. पी. सिंह (1932-2015) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी)से सेवानिवृत्त हुए, उस समय वे मानव संसाधन विकास मंत्रालय की शैक्षिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई। शिक्षा अनुसंधान और नवाचार समिति के अध्यक्ष तथा शिक्षक शिक्षण विभाग के प्रमुख थे। वे एक सीनियर फुलब्राइट फेलो थे और उन्होंने लन्दन विश्वविद्यालय से अपनी मास्टर्स और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी। उन्हें अपनी पुस्तकों के लिए व शिक्षा और इतिहास दोनों क्षेत्रो में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
डॉ. नौशाद हुसैन, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ टीचर एजुकेशन, आसनसोल (पश्चिम बंगाल) में प्राचार्य और एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है। उच्च शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में आपकी कई पुस्तकें एवम् शोध—पत्र प्रकाशित हो चुके है।